❤️..shukriya Zindgi..❤️
मौत मेरी चाहत नहीं रही कभी से
मगर मेरा यहां जीने का मन नहीं करता..!!
'खामोशी' से महज आँखे नम रह गयी, दिल नहीं भरता..!!
यहां गलतफहमी,झूठ फैला बस..सच को खुद साबित पड़ता..!!
बात का मतलब कोई नही समझ पाता..
बिन मतलब की बात कौन नही करता..!!
खोने पाने इस भागती इस दुनिया में आज..
कौन है यहां जो अपनों को खोने से नहीं डरता..!!
दर, डर, घर, सर..कोई तो वजह बन ही जाती है_
जीना पड़ा यहां कोई चाहकर तो नहीं मरता..!!
मेरी हालत मेरे हालात...उम्र नहीं बताएगी यूँ समझिएगा..
तकलीफ में लिखावट मेरी, वरना यूँ कलम ज़िक्र नहीं करता..!!
मैं अगर 'मर' जाऊं तो कायर कहने में पीछे नहीं हटेगा ये जमाना..
साहब जी..'साँसे' भारी पड़ती है वरना कोई ''खुदखुशी'' नहीं करता..!!
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