तुम्हारी यादों में, कई रातें काली कर दी गई
बेहोशी में ख़याल को बे-ख़याली कर दी गई ..
तुम्हारी यादों को भी बारिश पसंद है, शायद
ख़ूब बरसाया अश्क़, आँखें खाली कर दी गई ..
तल्खियाँ बढ़ती गई, हर रिश्ता हवा हो गया
झूठ सजा लबों पे, ख़ुद को जाली कर दी गई..
लिखा बहुत तुझे, फिर भी नहीं लिख पायें
सो गये हारकर ख़तों को निहाली कर दी गई..
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