कभी हम भी, उस दौर से निकल कर आए हैं, बड़े यतन कर, ख़ुद के अन्दर सम्हल कर आए है याद है मुझे, मेरा इंतेकाल-ए इश्क़ अब भी जब पता चला था, वो किसी और से मिल कर आए है
उस रिश्ते मै इस कदर इंसान पागल हो जाता है समय नहीं देखता बस वो खुद को खो देता है मिलती है खुशी कुछ समय की उससे वो उसी खुशी के खातिर अपने आने वाले कई साल झोख देता है