तुम्हें लगता है,कोई पास नही,
मगर ये दूरी भी कोई ख़ास दूर नही।
ये माना कि सफ़र आसान नही,
लेकिन मंज़िल भी है तेरे पास कहीं।
कुछ चेहरों को बेनकाब किया ज़िन्दगी ने,
जिन्हें छुपाये रखा था वक़्त के रहमों करम से।
हासिल हुआ या ना हुआ हो कुछ,
गैरों को अपना कहने का भरम टूटा है कसम से।
हाँ कुछ हालतों के मार से अभी दूर है वो,
खुलकर कहते नही लेकिन तेरे अपने हैं वो।
सच्चे हैं,दिल के अच्छे हैं और तेरी फिक्र भी करते हैं,
तेरे लबों की मुस्कान यूँ ही बनी रहे,निरंतर ये कोशिश करते हैं।
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