तेरे चेहरे पे मुझे ग़म अच्छे नहीं लगते,
हो गए है दूर, अब तुझे हम अच्छे नहीं लगते।
लिखती हूँ तुम्हें हर शेर ओ शायरी में लेकिन,
सरे महफ़िल तेरे चर्चे हमें अच्छे नहीं लगते।
हमें वो ज़ख़्म दिया जो ताउम्र ना भर पाएगा,
जल्दी मिट जाए वो ज़ख्म हमें भी अच्छे नहीं लगते।
बिना हलचल सी ठहर गई है ये ज़िन्दगी मेरी,
तुम से हम तक के ये फांसले हमें अच्छे नहीं लगते।
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