QUOTES ON #BUSSTOP

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15 APR 2019 AT 11:45

Aaj Fir Uske Intezar Me
Bus Nikal Gayi.

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25 MAY 2019 AT 9:59


Bus Stop🚦

Ye sirf ek Shaam dhalne ki baat nahi
Raat to marham hai subah ki aag jali pe
Kasurvaar kaatil to ye raat nahi.
Umeed hai dedare guftagu jald hi hogi
Par isse pehle gar fanna ho jau
To kehne ki baat nahi.
Ki tum gaye janha Chod kar wanhi
Baitha aaj bhi hun
Aakar jhakjhor do mujhe is khata par
Par yun thehar jana to sirf jazbaat nahi.

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18 DEC 2018 AT 11:34

Aaj fir uske intezar me
Meri Bus nikal gayi...

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20 NOV 2021 AT 18:34

प्रत्येक गोष्टीतील तोडगा निघतो
मग लालपरिलाच का दुरावतो....?
४वर्षाआधीही दाबले होते आंदोलन
या वर्षीही होणार का असे कोण आहे सहमत...?
स्वतःच्या रक्ताने लिहीले मुख्यमंञ्याना ,
निलंबित करणे हाच आहे मग
तोडगा का कळत नाही शासनाला...
नोटिस बजावली कामावर नाही आले तर काढून टाकेन ,
ड्रायव्हर कंडक्टर सर्वांचे हाल बेहाल झालेत...
15 दिवस झाले आंदोलन पाठिंबा मिळाले ,
पण होत दिखाव्यासाठी फक्त त्यांनीही पाठ फिरवले...
40-50 प्रवाशांची जबाबदारी त्यांच्यावर असते ,
1 मिनिटांचा जर क्षण तो आला
त्यांचे काय हाल असे, कुणास कळते असे....
रहायला नाही सुविधा काही घरापासून दूर राही ,
हजारो कर्मचारीही दुखावले गेले
पण माञ हे आंदोलन कसे दाबून टाकेल....
तोडगा काय निघतो यावर स्री पुरूष कंडक्टर असेल,
तर सकाळी ड्युटीवर
घरी जात का नाही कुणाला ठाऊक...
दिवाळीत तिकीट वाढ केली
पण त्यांच्या मागण्याला अंधारात ढकलले,
हजारो कर्मचाऱ्यांना निलंबित केले
काय करणार कुठे जाणार
कसे कोणासाठी जगणार नाही कळले...
घरातील मुलबाळ घेऊन
आयाही आंदोलनात सहभागी झाले,
सर्वांच्याच मागण्या पूर्ण होतात
मग लालपरीच्याच का नाही पेन्शन नाही पगार वाढ नाही
प्रणाली चौधरी

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दहलीज के आधार ,पर स्त्रियों पर
संस्कार के मानक तय हैं समाज के द्वारा ।
अच्छे घर की स्त्रियाँ
बसों पर धक्के नहीं खातीं ।
वे आत्मसम्मान के हेतु आवाज नहीं उठातीं
नहीं काटती चक्कर
थाने , कोर्ट-कचहरियों के ।
उनका कोई आत्मसम्मान ही कहाँ होता है
पुरुषों के बराबर खड़ी होतीं हैं वो ।
ऐसी स्त्रियों के लज्जा नहीं होती ।
अच्छे घरानों की नहीं होतीं हैं ना!
वे जो हंस-हंसकर
पुरुषों से बात करती है न !
न्योता होता है उनके लिए ।
अच्छे घराने की स्त्रियाँ
पराए मर्दों से बात नहीं करतीं ।
इनका धंधा ही यही होता है ।
मुंह ये मुँह अंधेरे उठकर
अपने बच्चों के लिए निकल पड़ती हैं
पर्स टांगे बस स्टॉप की ओर ।
कई नजरें पीछा करती है राह में ।
क्या पता कब इशारा मिल जाए
उन्हें हक़ जमाने का ।
या अवसर मिल जाए कि
वह ऐसी स्त्रियों को दंडित कर सकें ।
जो आत्मनिर्भर होती हैं ,
खड़ी होती हैं पुरुषों के बराबर ।.....

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7 MAY 2022 AT 12:44

बस का इंतजार करती
बस स्टॉप पर खड़ी लड़की
के सीने से चुनरी हटाने,
वह सभ्य लोग खुद नहीं आते!

पर गिद्ध की तरह
गौरैया को नोच खाने के लिए,
उनकी आंखों से निकल आते हैं
ढेरों हाथ!!

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4 JUN 2019 AT 14:01

....mirjz

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24 NOV 2019 AT 18:44

मैंने उसे तीन तरह से देखा..
पहला-प्रेम
दूसरा-वासना
तीसरा-सामाजिक
:
प्रेम में मैंने उसकी आँखें देखी
वासना में उसके उभरते वक्ष
और समाज की नज़र से मैंने बस,
उसकी 'जात' को जानना चाहा.!
:
पर इन सब के बाद भी कुछ छूट रहा था
हाँ, याद आया..
मैं उस लड़की को लड़की की नज़र से नही देख सका
अगर ये मुमकिन हुआ होता तो...
कहानी 'बस स्टॉप' पर ख़त्म नही हुई होती.!!

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24 JUN 2020 AT 16:58

यदि आप एकतरफा प्यार कर रहें हैं,

तो समझ लीजिए आप बस स्टैंड पर
खड़े रह कर ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं

और अपना वक्त ज़ाया कर रहे हैं।

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17 JUN 2020 AT 23:56

//The Bus stand//
I looked back and saw two lovers kissing.
Horror jumped in the scene,
when they noticed me.
PDA being a big red flag in India,
made them criminals of love.
Quickly realising their mistake,
they apologised and ran.
It wasn't a big deal for me.
But for the judge beside me, it was.
(Caption)

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