Afroj Alam 9 NOV 2017 AT 0:53 मेरी खता क्या है आलम ये मुझको पता नहीं ,माना इश्क है उन्हीं से पर ये तो कोई गुनाह नहीं । - Afroj Alam 23 NOV 2017 AT 11:30 ये जो तुम हर बात-बात पे अपनी फ़ितरत बदल लेते हो ,उनसे पूछों कोई इसको इश्क़ समझे या उनकी नादानी । - Afroj Alam 5 OCT 2017 AT 3:35 अब आ गए हो आप तो याद आती नही है कहना है कुछ जरा सुन कर जाये;दूसरी बार तीसरी बार हज़ारो बार दिल लगी सिर्फ तुमसे होती बिल्फ़र्ज़ ये दिल्लगी अगर होती। - Afroj Alam 25 NOV 2017 AT 0:23 मुझपे इश्क़ करने का इल्जाम लगा हैं ,इस दर्दभरी दास्ताँ को लिखना सबने गुनाह कहा हैं । - Afroj Alam 23 NOV 2017 AT 14:55 सुनो अगर मंजिले एक ना होती तो वो आज साथ होेते ,मंजिल एक होने से ख्वाहिशों की तब्दीलीं तो नहीं रूक सकती । - Afroj Alam 12 NOV 2017 AT 0:22 मैं खामोशी लिखूँ, तुम इश्क समझ लेना । - Afroj Alam 18 NOV 2017 AT 17:50 दिल, ज़ज्बात और इंसान भी वही ,पर इश्क़ की जगह नफरत रख ली । - Afroj Alam 24 NOV 2017 AT 23:59 काश कभी कोई ऐसा पल भी आए ,मैं गहरी नींद में रहूँ और तु दिल पे हाथ रखें,और ये धङकने फिर से जिन्दा हो जाए । - Afroj Alam 20 NOV 2017 AT 0:43 तुमने सपने और खुद के उसूल को ज्यादा तवज्जों दिया ,मैने ऐसी जगह चुनी जहां ना कोई तेरा हो और ना मेरा हो । - Afroj Alam 18 NOV 2017 AT 23:00 हमसे यूँ बेवजह नफ़रत करके, आज तुमने हमारी सांसो की उम्र बढ़ा दी । -