मै बेटी मेरे पापा की , मान समान सब रखना है
छोड़ के बाबुल आंगन तेरा ,साजन तेरे संग चलना है
ये रीत हैं ,अपनो को छोड़ ,गैरो को चुनना है
साजन तुलसी तेरे आंगन की , अब मुझे बनना है
आऐ गर मेरी याद , बहू में बेटी देखना है
पापा तुम्हे भी फ़र्ज , विदाई का पूरा करना है
-