(ऊँचे ख्वाब)
सियासत की ऊँची ऊँचाइयां
खून से भी लिखी जाती है
मूर्ख बनाकर हमकों ही जो
फिर प्यार से कही जाती है
जंसग्रह को देख के नेता
मन-ही-मन मुस्काता है
पासे नए बिछाकर अक्सर
प्रिय नेता कहलाता है
ना हारी विपक्ष, है हारी जनता
वो भावुक हो बिक जाती है
सियासत की ऊँची ऊँचाइयां
खून से भी लिखी जाती है
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