मैं समझती हूं नहीं क्या आप करते बात,
हृदय पर कैसे लगा है आप को आघात
यूद्ध के मैदान मे लगता रहा हैं घात
वीर फिर भी लड़ा करते ग्रीष्म या बरसात
वीर कर ताजा खबर हरगिज़ ना पश्चाताप
जख्म की गहराई को स्वयं लेता माप
जख्म के वह दर्द को हैं बिहंस करता पान
जख्म पाना यूद्ध में उसका रहा अभिमान!
नयन में बातें लिखी मैं पढ़ न पाती हूं,
नयन कि भाषा न पढ़ना जानती हूं!
शब्द अक्षर कि नहीं पहचानती हूं,
नयन कि भाषा नहीं अब तक पढ़ी हैं,
और पढ़ने कि नहीं आयी घड़ी हैं,
अधर कि मुस्कान से मैं खुद हूं अंजान
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