1st से 1000th quote का सफ़र
महीने हुए कुछ जब आई नई थी
हिचक कुछ सहज थी,ज़रा अनमनी थी
हाँ कुछ था कौतूहल,था थोड़ा सा ये डर
लिखूँगी मैं कैसा? क्या भाए यहाँ पर?
हुआ परिचय,कुछ मित्र लेखक मिले
सहयोग से जिनके, मन भी खिले
किसी ने सराहा,किसी ने सुधारा
गहराई पाने लगा , लेखन हमारा
चुनौती नई नित जो मिलती रही
प्रतिभा लेखन की खिलती रही
प्रथम से दशक तक, दशक से शतक तक
सफ़र अब शतक से बना है हज़ारी
दिली शुक्रिया है your quote तुम्हारा
तुमने बदल दी है दुनिया हमारी
-