मैं
ठहरा
शब्दों का व्यापारी,
तुम
पढ़ी लिखी
एक बड़े शहर की कुंवारी।-
ज़मींदार है, साहुकार है, बनिया है, व्यापारी है,
अंदर-अंदर विकट कसाई, बाहर खद्दरधारी है !-
'मोहब्बत' के लिए जाना जाता था उनका दिल
इतने शख्श बदल लिए अब 'व्यापारी' हो गया।-
व्यापारी का कवि होना
और कवि का व्यापारी होना
कुछ तो अंतर है।-
राम की शक्ल में वो रावण बन के बैठा है
कहता है सिर्फ तुम ही मेरी इकलौती सीता हो,
फिर भी ना जाने कितनी राधा कितनी गोपियां बनाए बैठा है
कहता है वो मुझसे मै तेरा हमदर्द,तेरा अजीज,तेरा कद्रदान हूं
जो मुंह में राम बगल में छूरी लेके बैठा है
देख कर हर हसीना को उसका दिल धड़क जाता है
हवस मिटाने के लिए,हर किसी से वो मुहब्बत का व्यापार किए बैठा है
कहता है तेरे आने के बाद अब इस दिल को किसी की आरज़ू ही नहीं
फिर भी ना जाने कितनो को अपना बनाने के ख्वाब आंखो में लिए बैठा है
अब इस दिल को वो क्या ठंडक पहुचायेगा
जो खुद इस दिल में आग लगाए बैठा है
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मेरा प्यार जैसे विराट और कुम्भले की chemistry
मै कपड़ा व्यापारियों सा परेशान और वो जैसे GST
😂 😂 😂
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वह मेरा नकचढा ... व्यापारी
किस्म का 'आदमी '
कविताएं पढ़कर मेरी
मुझे विज्ञापन लिखने को कहता है|
जी में आया .....चुल्हे में झोंक दूं उसे
पर
पल्लू में पड़ी ....गांठ देखकर
याद आया.... गठबंधन हुआ है उससे
पर बेलन तो
फिर भी मेरे पहुंच में थे-
रिश्तों के कारोबार में
कौन नफ़े में रहता है
है सफ़ल बस वही व्यापारी
कुछ चाहे बिन जो देता है-
तौलने का हुनर तो व्यापारी करते हैं,
हम तो इश्क़ में सिर्फ वफादारी करते हैं।-