QUOTES ON #विनाशकाले

#विनाशकाले quotes

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4 APR 2024 AT 11:18

एक नायक जब सही रास्ते पर चलता है तो उसे भटकाने का प्रयास किया जाता हैं।
सामान्य मानव एक दिव्य पुरुष को कैसे समझ पाएगा, उसका उपहास किया जाता हैं।
भीड़ में रहना जैसे उसकी नियति ही न हो उसके लिए तो नियत एकांत वास किया जाता हैं।
एक दिव्य पुरुष कुछ भी सोच कर नहीं करता है उसके द्वारा अनायास ही किया जाता है।

उसकी लीला वो ही जाने, सब कुछ जानकर भी अनजान बनकर वो मुस्काता है।
उसका जीवन जैसे औरों के लिए ही समर्पित हो, सबका जीवन सफल कर जाता हैं।
एक नायक जब सही रास्ते पर चलता है तो उसे भटकाने का प्रयास किया जाता हैं।
निःस्वार्थ भाव से ही आजीवन किया होता है उसने सब कुछ और करता जाता है।

उसको नहीं चाहिए धन और दौलत वो तो दो प्रेम के बोल से ही खुश हो जाता है।
ताकत और अर्थ से खरीदने आओगे तो कंगाल हो जाओगे, वो आत्मिकता से बिक जाता है।
आम जन मानस उसे और उसकी बातों को "अभि" कहाँ ही समझ पाता है।
जो उसको समझ पता है आजीवन हेतु उसका हो जाता हैं, उसका हो जाता है।

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15 SEP 2020 AT 8:46

कालीदास सरकार...
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25 APR 2020 AT 6:26

अहंकार का मित्थ्या भ्रम,
सुबुद्धि पर दुर्बुद्धि का आक्रमण ।
चित्त का दुश्चिंताओं में भ्रमण,
सुपथ त्याग कुपथ का चयन ।
आमंत्रण नाश का,
अपना, अपनों का,
भविष्य के सपनों का ।

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17 JAN 2019 AT 12:50

इतिहास गवाही देता है,
हर ग्रंथ पुराण यह कहता है ।
जब-जब है अत्याचार बढ़ा,
आकुलब्याकुल हो गई धरा ।
दानवता विजयी होने लगी,
मानवता आशा खोने लगी ।
रावण, धृतराष्ट्र, कंस तक ने,
चुन-चुन कर सभी सगे अपने ।
हो मित्र, कुटुम्बी या सेना,
बच पाया नहीं कोई कोना ।
पहले उनको भेजा रण में,
सब का ही नाश करा डाला ।
तब जाकर खुद आए रण में,
उनके भी प्राण गये क्षण में ।
जब घड़ी नाश की आती है,
बुद्धि विवेक हर जाती है ।।

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18 AUG 2021 AT 15:07

चौदह वर्ष वनवास सहा
एक उम्र कटी रोते-रोते ।
तब जाकर बात समझ आई
सोने के हिरण नहीं होते ।।

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11 AUG 2022 AT 1:03

हां,,,
तुम देखोगे,
दुनिया की हर प्रगति,
दुनिया का हर विनाश
मनु के वंशज!!
नहीं तुम कोई और हो,
तुम्हें दुनिया में रहना होगा
हज़ार साल!!
अनगिनत,,,,
साल हजार साल||

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15 APR 2021 AT 9:55

 महान् ग्रन्थ ‘चरक’ में लिखा हैं,
"विनाशकाले विपरीत बुद्धिः।"
ये कहावत आज सिद्ध होते नज़र आ रही।

।।धर्मो रक्षति रक्षितः।।

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21 APR 2023 AT 9:59

प्रभात काले सुजीत बुद्धि,
संध्या काले सुगीत बुद्धि।
जीवन काले निर्भीक बुद्धि,
विनाश काले विपरीत बुद्धि।।

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7 JUN 2020 AT 6:40

धरती, गाय, हथनी और नारी

इनके आंसू पड़ेंगे भारी

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11 SEP 2021 AT 13:35

उफ़! ये बेगैरत लोग तरस आने लगा
है इनकी दशा और दिशा पर,
सोचा था जिदंगी में अब तो शायद ये लोग
कुछ कामयाबी का रास्ता देखेंगे,
पर ये तो बर्बादी अपनी ख़ुद
तैयार कर बैठे है।

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