मौत से मजहब का सवाल कैसा ?
तुझे जलाने वाले भी अपने थे !
दफनाने वाले भी अपने थे !!-
मै पूछना चाहती हूं धर्म के ठेकेदारों से,मै पूछना चाहती हूं नफरत फैलाने वाले शैतानों से
बात राम की हो या रहीम की,
बात गीता को हो या कुरान की,
बात गुरुनानक देव की हो या,इसा मसीह की
बात गुरु ग्रंथ साहिब की हो,या बाईबल की
सबने हमें एक ही बात बताई है, सबने हमें सच और अच्छाई की राह दिखाई है
फिर क्यों हिंदुस्तान में इतनी धर्म की लड़ाई है-
जब हिन्दू को रमज़ान में राम नजर आए
जब मुस्लिम को दीपावली में अली नजर आए
तस्वीर ही बदल जाएगी इस देश की उस दिन
जिस दिन इंसान को, इंसान में ,इंसान नजर आए-
जिहाद
वो कहते रहे,
हमे 'मोहब्बत' है अपने धर्म अपने मुल्क पर,
हम जताते रहेंगे,
हम बताते रहेंगे,
हर दुसरे धर्म पर ऊंगली उठाते रहेंगे,
मजहबी सियासतो मे
सर अपने कटाते रहेंगे,
सही भी हो कोई और,
पर बोले जातीयता के खिलाफ,
तब तब आवाज ऊठाते रहेंगे।
हम उन्हे बताना चाहेंगे,
पढना सिखा पर सिर्फ जातीवात पढते हो,
देखना जानते हो पर सिर्फ छल देखना जानते हो,
सुनते भी हो तो सिर्फ सियासती सुनते हो,
तो माफ करना मेरे दोस्त,
आपका कट्टरतावाद 'मोहब्बत' नही
क्या आप 'जिहाद' का मतलब समझते हो?
-
कुछ ऐसा हो कि अयोध्या विवाद पर लोगों के दिल मिल जाएं.......
भगवान राम के मंदिर में अल्लाह को घर मिल जाए!!!!-
ईए देश हामारा है
हामारि जिंदगी का साहारा है
धर्म तो इसमें कई सारे है
रीति रिवाजो से भरे हुए है
हिंदु ,मुसलिम,सीख,साई
मजहब चाहे कुछ भी हो, हम सब है बहेन-भाई
"मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना"
इस बात को हमेशा अपने दिल में रखना
जो फौजी हमारे लिए जान देता है
वो कभी हमें अलग से नहि सोचता है
भगवान ने तो सिर्फ इनसान बनाया है
मजहब तो उस इनसान ने बनाया है
जिनसे आज हम,एक दुसरे को अलग करते है
मगर यह नहीं सोचते, कि सांस तो हम सब एक ही लेते है
बस दिल में रखना एक बात
इंसानियत से उपर नहीं है कोई जात
-
जकड़ कर बांध दिया था,
उसको गंदी मानसिकता वालों ने...
लगवाते गए उससे जबरन नारे "जय श्री राम" के,
क्या यही सिखाया हमें रामायण के हर किरदार ने...?????????????-
इंसानियत तो हमनेँ “ब्लड बैँक” से सीखी हैं साहब,
जहां बोतलों पर “मजहब “नहीँ लिखा जाता-
वह मस्जिद की खीर भी खाता है"""
मंदिर का लड्डू भी खाता है"""
वह भूखा है साहब उसे,
मजहब कहां समझ आती हैं.....-
यू दरबदर की ठोकरें खाकर मालूम हुआ की यहां इंसान से ज्यादा मजहब को सम्मान मिलता है।
-