हद होती है
हर बार आजमाएं जाने की,
हद होती है हर बार,
अपनों से ही घाव खाने की
काश!तुम इन बातों को समझ पाती,
दिल में छुपी है मूरत तेरी,
काश उसे तुम देख पाती
आँखें पढ़ना तो तुम्हें कभी आया ही नहीं,
मोहब्बत में फना होने का हुनर,
तो तुमने कभी आजमाया ही नहीं
हद तो तब होती है जब,
मोहब्बत के नगाड़े बजते हैं,
और तुम्हारे जैसे बेवकूफ,कानों में हेडफोन लगाए घूमते हैं
हद तो तब होती है जब,
मोहब्बत की बारिश होती है,
और तुम्हारे जैसे बेवकूफ,छाता ढूंढते हैं
हद तो तब होती है जब,
इश्क की ठंड बढ़ती है,
और तुम्हारे जैसे बेवकूफ,बीमार होने से डरते हैं
हद तो तब होती है जब,
मोहब्बत दरवाजे पर,सीना ताने खड़ी हो,
और तुम्हारे जैसे बेवकूफ,दरवाजा बंद करते हैं
हद तो तब होती है जब,
मोहब्बत,इजहार-ए-बयां करती है,
और तुम्हारे जैसे बेवकूफ,मोबाइल पर PUBG खेलते हैं।
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