प्रेम बहे यमुना जल में, प्रेम वृंदावन धाम,
प्रेम कृष्ण की बाँसुरी, प्रेम ही राधा नाम..!!-
28 FEB 2022 AT 7:48
3 JAN 2020 AT 19:36
हे कान्हा...
आज भी तु बसता हैं वृंदावन की गलियों में
निधिवन में आज भी किवदंती है
रास रचाते प्रभु गोपियों संग है
करबद्ध वनतुलसी दलपुंज
मनभावन प्रतीत होती है आज भी
बांके बिहारी तेरी छटा निराली है
शोर में भी घनी शांति है
कान्हा...
जन्म से विस्तार तेरा प्रेम मंदिर है
राधे-राधे समवेत स्वर
अहा..! बड़ी मनमोहक है
कान्हा...
तेरा वृन्दावन तामसिकता से अछूता है
गाय यहां पूजनीय जगतमाता है
सबने बाँट लिया तुम्हें अपने-अपने हिसाब से
जबकि...!
तु रहता है सबके हृदय कमल में
राधे-राधे...-
10 JAN 2024 AT 21:59
आपके प्रेम मंदिर में ही जीवन गुजर जाए,
आपके चरण पुजा में ही जीवन संवर जाए.-