आज आषाढ़ पूर्णिमा के ही दिन तथागत बुद्ध के
जीवन की चार महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई थी,
इसलिए यह दिन बौद्ध अनुयाइयों
के लिए बहुत अहम हैं...-
विचारों का स्वभाव ऐसा होता है कि कार्यों में अपने तरीके ढूंढ ही लेता है।
-
परम पूज्य बुद्ध ने अपने धम्म के द्वारा भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में शांति, अहिंसा, प्रेम, करुणा, सत्य और आत्म - अनुसंधान , तर्कशीलता, आडंबरहीनता आदि का जो संदेश दिया था वह मानवीय गुणों को ऊंचाई देने वाला रहा है। हमें गर्व है कि हमारी स्वयं की संस्कृति बुद्धमय रही है, जिसने हमें हजारों साल पूर्व ही ' बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय ' का उपदेश देकर आपसी सद्भाव का पाठ पढ़ाया था।
आज जब पूरा विश्व अलग - अलग त्रासदियों से आक्रांत है, तब हमारे लिए बुद्ध का धम्म ही एकमात्र विकल्प है। जहां तक मैंने पढ़ा है - मध्यम मार्ग के प्रणेता बुद्ध ने कभी भी अपने द्वारा खोजे हुए सत्य को आम लोगों पर थोपने की कोशिश नहीं की। उन्होंने " अप्प दीपो भव " का संदेश दे कर खुद के सत्य को उजागर करने की प्रेरणा दी और अपने अनुयायियों को मानव एवम् इतर जीव - जातियों की सेवा के लिए संकल्पित किया। इस अवसर पर आप सभी मित्रों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं..!! नमो बुद्धाय ..!!-
शांती प्रस्थापित करण्यासाठी मी कलियुगात येईल असे भगवान श्रीकृष्ण यांनी सांगितले होते.
त्यानुसार श्रीहरी यांच्या श्रीकृष्ण अवतारानंतर भगवान बुद्ध या अवतारात त्यांनी शांती दूत बनून शांतीचा संदेश दिला.
जसं युग बदलत गेले तसे भगवंताचे अवतार काळानुरूप आणि गरजेनुसार स्वरुप बदलत गेले.
जसे की सृष्टीच्या निर्मितीचा काळ तेव्हा मत्स्य, कुर्म हे अवतार.
असूरांचा वध करण्यासाठी असूरी शक्तींचा सामना करण्यासाठी वराह, नृसिंह अवतार.
कलियुगाच्या सुरुवातीसाठी शांततेचा पाया रोवण्यासाठी श्रीकृष्ण अवतार आणि कलियुगात शांतीचे प्रसारक भगवान बुद्ध बनून आले.-
तथागताच्या मधूर वाणी
धम्म शिक्षेची किती स्तुती
शरण ले सम्राट अशोक
भीमरावजी अम्बेडकर
स्वीकारला विश्व शांतीचा पथ
भीमरायाने ओढीला धम्माचा रथ
तथागताच्या मधूर वाणी
धम्म शिक्षेची किती स्तुती-
स्वतःची बुद्धी गहाण ठेवणाऱ्यांना
बुद्ध खरंच भेटत असेल का?-