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अर्थ शास्त्रियों ने पेट देखे, हाथ नहीं।
न उन्हें अर्थ के शास्त्र का ज्ञान था
न ही शास्त्र के अर्थ का।-
मेरा भूगोल हमेशा से कमज़ोर रहा है,
मैं नहीं जानती कौन सा "मौसम" उचित होता है,
उपजाने के लिए, प्रेम को।
इतिहास भी कुछ खास पसंद नहीं रहा है,
मैं नहीं जानती कितने "युद्धों" को जीतकर
अपना वर्चस्व स्थापित किया है, प्रेम ने।
मैंने नहीं पढ़ा है नागरिक शास्त्र,
मैं नहीं जानती क्या "नियम और कानून" हैं
अस्मिता बचाने के लिए, प्रेम की।
अर्थशास्त्र से तो मेरा दूर दूर का कोई नाता नहीं,
मुझे नहीं मालूम क्या "मोल भाव" करना पड़ता है
अपना बनाने के लिए, प्रेम को।
मेरा गणित भी हमेशा से कमज़ोर रहा है,
मैं नहीं जानती कितनी "दूरी" जरूरी है,
प्रेमियों रूपी समानांतर रेखाओं में, प्रेम में।-
बरसात यूँ बरसा ना कर
चाय की माँग बढ़ जाती है
पूर्ति करते करते नारी थक जाती है
🙄🤕-
#स्त्री को बिना शर्त के प्रेम किया जाता है
लेकिन एक #पुरुष को तभी प्रेम किया जाता है जब वह समाज में अपना वजूद तय करे।
#अर्थशास्त्र हमेशा #प्रेमशास्त्र पर भारी पड़ा है.. 😄-
रच ही डाला .. मैंने भी इतिहास प्रेम में
वो भी ऐसा .. कि भूगोल बदल गया मेरा
और वो .. इसे मेरा अर्थशास्त्र समझते रहे
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व्यापारियों का गंदा अर्थशास्त्र
जब किसान उगाता है टमाटर प्याज
तो खरीदते नहीं या फिर खरीदते हैं दो रू के भाव
लागत और मेहनत भी वसूल नहीं होती
किसान होता है बर्बाद या तो फेंकता है सब्जियाँ
सड़को पर,या मजबूरी म़े बेचता है दो रू भाव
फिर आ जाती है सब्जियों की कमी तो कमीन
व्यापारी ..फिर लाचार किसानों से दो रू किलो
में खरीदे गये टमाटर प्याज को चालीस से सौ तक
बेचता है ..ये गंदा अर्थ शास्त्र सालों से चला आ रहा
है..किसान और ग्राहक पर बोझ आ रहा है..
क्यों नहीं किसानों के लिए उचित नीती बनाई जाती है
क्यों नहीं सब्जियों की कीमत सरकार द्वारा
तय की जाती है...ये घटिया अर्थशास्त्र कब तक।
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"अर्थशास्त्रीय दोहे"
अर्थशास्त्र वह शास्त्र जो, मानव जीवन भाग।
करे उच्चतम प्राप्तियाँ, और न्यूनतम त्याग।।
"Economics is a subject which maximises gains and minimises sacrifice".-
अच्छा होता ..
ग़र प्रेम .. अर्थशास्त्र होता
..
दुनिया का .. सबसे धनवान .. व्यक्ति ..
इकलौता .. हकदार होता .. इसका
..
कमसकम .. दुनिया का हर शख़्स
इस अनमोल मूल्यवान धरोहर को
पाना तो चाहता .. और ताउम्र
सहेज .. भी लेता इसे
..
लेकिन ..
..
ये दुर्भाग्यपूर्ण ही है .. सभी अर्थशास्त्रियों के लिए
कि .. प्रेम ..
फकीरों की टोली का .. मुखिया निकला .. !!
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प्रेम ..
अर्थशास्त्र था तुम्हारे लिए
जिसमे तुमने टांग दिए
सारे थेऔरम मैथ्स के
सारे समीकरण केमिस्ट्री के
..
मैं जानना चाहती हूँ
क्यूँ ?? तुमने इतिहास नहीं पढ़ा
क्यूँ ?? अर्थ की जियोडेसी पढ़ते वक्त
तुमने गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम भूला दिए
क्यूँ ?? तुमने भूगोल में
सूरज पृथ्वी और चाँद को नहीं पढ़ा
क्यूँ ?? बही खातों सी ज़िन्दगी में
तुम्हारे सारे फीलिंग्स कमर्शियल हो गए
क्यूँ ?? तुमने कभी नहीं जाना
ज़िन्दगी जीने की कला
और प्रेम के भाव
..
क्या मैं कह सकती हूँ ??
दूषित हैं .. तुम्हारी ज़िन्दगी
प्रेम के बिना .. !
यकीनन ।-