Sweta Das  
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Joined 28 June 2021


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28 DEC 2024 AT 10:38

अजीब ज़ालिम दुनिया है...

जो हमारी रातों की निंद उड़ा देते हैं,
वो रातों को कितने चैन से सो जाते हैं...

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2 SEP 2024 AT 0:09

काश पैसों से जज़्बात के मोल खरीदे जा सकते...
वरना जज्बातों की कदर और अहमियत दोनो ही नहीं मिलती

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12 APR 2024 AT 2:51

कुछ बातें ना कहे भी समझ लेनी चाहिए..

और अगर कहने से भी बातें समझी न जा रहीं हो तो न कहना ही बेहतर है,

उससे उस इंसान का समय भी बचता है और इज़्ज़त भी...

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31 DEC 2023 AT 0:55

कहते हैं...
लोग तो कहेंगे, लोगो का काम है कहना
पर जब अपने कहने लगे,
फिर उसका क्या?
वो तो कभी किसी ने कहा ही नहीं....

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25 OCT 2023 AT 16:11

इतने धोखे खा लिए ज़िंदगी में,
की अब और धोखे खाना
मेरे बस में नहीं...

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22 OCT 2023 AT 0:24

ज़िंदगी कितनी जल्दी बदल जाती है,
जब एक लड़की बियाह कर दूसरे घर आती है..
बहु होती है उस घर की,
पर पहचान पराई घर से की जाति है..
नाम, घर, लोग सब बदल जाता है
अपना है कौन यहा? बस ये पता चल नहीं पाता है
"बोहोत खुश हु मै मां" हर दिन यही झूठ दोहराया जाता है,
ताकि लोग ये न कहे की "दोष लड़की में है, कुछ आता ही नहीं इसे" सब दफन कर दिया जाता है..
कितने खुश है हम? कितने खुश थे तब? ये एहसास अब है ही नही
ज़िंदगी गुजारनी है अब, जैसे भी हो, आगे का कुछ भी.. पता नहीं...

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4 JUN 2023 AT 23:56

एक ज़माना ऐसा था जब बाहर रहने को तरसते थे...
अब,
घर जाने को तरसते हैं...

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19 MAR 2023 AT 21:11

खुद से अब इतनी नफ़रत हो गई
की लोगों की नफ़रत में कुछ बचा नहीं..

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10 MAR 2023 AT 23:09

आज खुद को शीशे में देखा तो ये मेहसूस हुआ,
खुद की कदर खुद को ही करनी चाहिए,
वरना लोग दिखावे का भी हिसाब मांगते है...

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13 AUG 2022 AT 22:58

आंसुओ की भी कदर तब पता चलती है
जब वह गिरना बंद हो जाय...

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