23 MAR 2018 AT 21:45

वो रात बड़ी ही काली थी
सन्नाटा सा पसरा था
ना जुगनू चमक रहें थे ना मचल रही थी सतलुज
डरकर अपनी कायरता से अंग्रेज़ी हुक्मरानों ने
भारत माँ के वीर सपूतों को फांसी पर लटकाया था
चेहरे पर उनके ना थी डर की रेख
गर्व का तेज सा बिखरा था
जब सो रहा था देश पूरा
तब अलविदा कह रहे थे ये वीर
मालूम था उनको ज़ाया ना जाएगा बलिदान
इस बात से वो गदगद थे
ना आया उनकी आंखों में अपनों की याद का पानी भी
दे दी देश के खातिर अपनी जान की कुर्बानी भी
जो सौप गए हमको आज़ादी उसकी लाज बचानी है
जो मिट ना सकेगी मिटकर भी ये उन वीरों की कहानी है ...


- Swati_Gupta