22 MAR 2018 AT 22:45

बेशक कविता बदल नहीं सकती दुनिया
लेकिन दे सकती है उड़ान नन्हे परिंदों को
खोल सकती है दरवाज़े मंज़िलों के
रच सकती है एक आभासी संसार
तोड़ सकती है बेड़ियों को
बांध सकती है विश्वास की डोर
जीना सिखा सकती है मृत शरीर को
भर सकती है प्राण हताश मन में
बेशक कविता बदल नहीं सकती दुनिया
लेकिन बदल सकती है सोच का दायरा
चोट कर सकती है पत्थर पर
मोड़ सकती है आवेशों के दरिया को
ढूंढ सकती है समुन्द्र में छिपे मोती
बेशक कविता दुनिया नहीं बदल सकती
मगर किसी की दुनिया हो सकती है ...

- Swati_Gupta