kuch -ankahii   (©agrwalswati)
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Joined 12 February 2017


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Joined 12 February 2017
7 JAN AT 21:09

और अंत में
बस इतना ही चाहा मैंने कि
पंछी बेहिचक कांधे पर बैठकर चहचहाएं,
पग रखूं धरा पे तो चींटी राह में न आ जाए,
वो बरगद की गिलहरी हाथों से दाना लेती जाए,
गईया और उसके बछड़े देख के हर्ष से रंभाएं,
तितली छुवन से विचलित हुए बिना हाथों पर बैठ जाए |

बस इतना सा मुझ में खुद को बचा देना दाता...
कि तुझसे नज़र मिले तो लजा के झुक ना जाए !

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15 AUG 2023 AT 7:04

आज़ादी सबको चाहिए...
आज़ादी देना कोई नहीं चाहता!

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9 JUL 2023 AT 20:59

किसी भी व्यक्ति का पौरुष,
उससे भी बढ़कर मनुष्यता,
इस बात से जानी जा सकती है कि
वह स्त्री की 'ना' को किस तरह से लेता है।
....

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2 JUL 2023 AT 20:39

16/4/2023

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17 JUN 2023 AT 22:13

.....

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24 APR 2023 AT 22:24

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21 MAR 2023 AT 20:09

संसार की निर्ममता अगर,
जीवनरस कम करने लगे कभी,
तो चले जाना बेझिझक किसी कविता की शरण में...
विश्वास रखो!वहां कभी निराशा हाथ नहीं लगेगी।

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1 MAR 2023 AT 20:25

सुनो पारिजात,

जब हंसते हो तुम...
तब मेरे आंगन में
उतरता है वसंत!

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15 DEC 2022 AT 21:21

मनुष्य जीवन के पंचऋणों से,
समय के साथ -
बहुतेरे प्रयासों से
हर ऋण से मुक्त हुआ जा सकता है,
परंतु ...
"अहैतुक प्रेम" वो है,
जिससे उऋण होना संभव ही नहीं;
स्वयं प्रभु नहीं हो पाते।

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11 NOV 2022 AT 21:02

जब चांदी झलकने लगे बालों से
और सोना झुर्रियों से तुम्हारी,
जब देह डगमगाने लगे, थाम लेना तब हाथ मेरा...
मुझसे मिलना तो उस उम्र में मिलना,
जब तुम्हारे हाथों की कंपन
पकड़ न पाएंगी दामन कोई
और निगाहों से दूर हो जाएंगे चेहरे सभी...
तुम मुझको सुन लेना ख़ामोश लफ्ज़ों में
सुबह की गुनगुनी धूप में, ज़िंदा लोगों में,
वो लोग जो गुमनाम हो गए हैं,
उनका नाम पूछकर तलाश लेना मेरा पता
अगर ना मिलूं फिर भी
तो सदाएं भेजना , उन गलियों में
जिनको रोशनी की हिदायत दी है तारीकी ने...
मिलना कि जब बेबात छलछलाने वाली आंखें
सहरा बन चुकी हों और
देखते ही तुमको घन बरस-बरस जाएं ...
कुछ पलों के लिए ही सही बस एक दफा
ज़िंदगी से ये इल्तिजा मनवा लेना...

जानां, तुम्हारी मुस्कान की सरगम से
धीमी होती धड़कनों का साज़
फिर सुनाई देने लगेगा।

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