हमेशा "पॉज़िटिव सोचो, पॉज़िटिव बात करो, पॉज़िटिव की अपेक्षा रखो" बोलने वाले, निगेटिव शब्द से सख़्त नफ़रत करने वाले बाबूजी, आज हॉस्पिटल के गलियारे में बैचैनी से इंतज़ार में चहल कदमी करते हुए मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे कि बेटे की बायोप्सी की रिपोर्ट निगेटिव आये..
सच है, कभी-कभी कुछ निगेटिव ही होते हैं ज़िन्दगी के सबसे बड़े पॉज़िटिव..
- Swarima Tewari