अकेलेपन का एहसास
फिर से होने लगा है ।
अपनोने छोडा 'मझधार' में
और 'चैन' खोने लगा है ।।
कितनी 'हसीन' थी ये जिंदगी,
'रुसवाईयों' ने जो करदी तबाह ।
अब तक न था ये 'इल्म' मगर
हालातों ने कर दिया है 'आगाह' ।।
अपने-पराये की 'कश्मकश' में
अब 'खुद' को है, बनाये रखना ।
चाहे साथ न देना 'जमानेवालों'
बस 'दुआ' में याद रखना ।।
●स्वप्निल™●
- •स्वप्निल™•