Susana   (Son@m✍️)
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Joined 12 November 2017


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Joined 12 November 2017
7 OCT 2021 AT 22:41

घंटों बैठी सोचती रही
हाथ में कलम लिए
पन्नों पर कुछ ना कुछ
उकेरने की कोशिश करती
एक छवि बनी
कुछ कुछ मुझ जैसी
मुझे देख मुस्कुरा दी
फिर कहा __
क्यूं बेचैन हो
क्यूं है ये उथल पुथल
बाहर क्या ढूंढ़ती रहती हो
क्या है बाहर की दुनिया में
जो तेरे पास नहीं
झांक अपने अंदर देख खुद को
जो सुकून तू बाहर ढूंढ रही
वो तेरे अंदर है
मेरे हाथ थपथपाकर
पलकें झपकाकर मुस्कुरा दी
फिर ओझल हो गई।

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11 JUL 2021 AT 1:34

मेरी हर बात सुनी
हर शिक़ायत सुनी
मेरे आंसू पोछे
मेरा दर्द बांटा !
एक आख़िरी काम कर देना

कल परसों
या बरसों बाद
जब मैं ख़ाक हो जाऊं
या मिट्टी में मिल जाऊं
तुम भी ख़ामोश हो जाना
कहीं छुप जाना या दफ़्न हो जाना
या अपने सफ़हों पर से सियाही धो देना

मेरे राज़ को राज़ रखना |
~~~~~~~~~

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31 MAY 2021 AT 1:24

मैंने शिकायत लिखी
ग़ुस्सा लिखा।
मोहब्बत लिखी
यहां तक कि नफ़रत भी लिखी।

मग़र तुम्हारे सिवा
कभी किसी को नहीं लिखा।

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14 MAY 2021 AT 20:51

बंद दरवाज़े पे एहसासों का
निशान उभर रहा है
वो सामने बैठा है और हर नज़र
के साथ दिल में उतर रहा है।

मूंद चुकी हूं आंखें फिर भी
आंखों के सामने वो ठहर रहा है
दो कदम मैं चलूं तो दो कदम
वो भी सरक रहा है।

अरसे से बंद पड़ा गांठ अब
शायद खुल रहा है
बांहों में उसके मैं सिमट रही हूं
जज़्बात उमड़ रहे हैं और दिल बेहक रहा है।

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2 MAY 2021 AT 2:19

सब एहसासों की बात है
वो बारिश में खड़ा होकर
आंखें को बंद कर
दोनों बाहों को खोलकर
भीगता है।
और मैं____
उस बारिश में उसके
करीब होने के खयाल से
ही भीग जाती हूं।

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4 APR 2021 AT 13:27

तेरे बिना एक अरसा बीता तो है
मगर बिता नही।

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3 APR 2021 AT 13:43

ईश्वर जैसा।
आंखों को नहीं दिखता
मगर मन्न का विश्वास है कि वो है।
प्यार ईश्वर जैसा दिखता है
या यूं कहें कि प्यार ईश्वर है
प्यार ईश्वर ही है।

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23 FEB 2021 AT 20:10

खुद को बदलना प्रेम है
उसको बदलना प्रेम नहीं।

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15 FEB 2021 AT 9:12

खुद को कैद कर लूं।
बंद कर लूं एक अंधेरे कमरे में।
ना रोशनी की चुभन हो
ना हवाओं का शोर ।
और ना लोगों की भीड़ ।

अंदर के शोर में अब
ज़्यादा आराम दिखता है।

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31 OCT 2020 AT 3:04





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