ख्वाबों में आकर अब नहीं सताती
अब तो अच्छे से नींद आती होंगी न
रूठ कर खुद ही अब मान जाती हूं
अब कोई तुम्हे परेशान तो नहीं करती होगी न
बार बार कॉल करने की आदत छोड़ दी
अब फोन की घंटी परेशान तो नहीं करती होंगी न
उदासी की चादर को मुस्कान से ढक ली
अब तो जिंदगी सुकून से जीते हो n
बोलो न, अब तो तुम्हे मेरी याद नहीं आती होंगी न
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