आज ख्वाब में जो था , वो कोई नया था । लम्हें ठहरे ठहरे से थे! फिजाओ में इत्र सा था। किसी खूबसूरत साहिल का नजारा था !!! चांदनी रात थी ! चमकते सितारे थे ! दरिया थी ! लहरें थी! और बाहों में वो थी ।।।।
हर ख्वाब में पाता हूं तुम्हें, हर धुन में सजाता हूं तुम्हें! मेरी शायरी की राज हो तुम; मेरे हर सवाल का जवाब हो तुम; मेरे हर मर्ज कि इलाज हो तुम; दुनिया तेरे होने से खूबसूरत है । तू खुदा की तराशी हुई मूरत है ।
यादे हमेशा बहुत दूर ले जाती है! तब ,जब घर चमकते सितारों का आंगन था। और पल भर में खींच लाती है मुझको यहाँ, चारो ओर बिखरे अंधेरो में। और फिर आंखों से दरिया बहता है, जिसकी हर एक बूंद मेरे भीतर छाये सन्नाटे में बस एक सवाल का जवाब ढूंढ रही होती है। कि ये जो हुआ है !