2 MAY 2017 AT 8:44

आहत मनवा बार-बार चिल्लाए
भगवान क्यूं दिखाया ऐसा भीषण मंजर,,,
जला कर राख कर गई सारी गेहूं की फसलें
ग्रीष्म ऋतु का अति प्रचण्ड-प्रभंजन ।
सर पर हाथ ,, आंखों में पानी ,,,,,,
दर्द बयां ना कर पाए कृषक अपनी जुबानी ।
थी आस गेहूं की फसल अच्छे कीमत पर
बिक जाएगी ,,,,
बिटिया की शादी ढंग से हो जाएगी ।
चूर-चूर हो गए सारे सपने ,,सारे अरमान
जाने अब कैसे होगा कन्यादान ।




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