Sumit Joshi  
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Joined 1 June 2017


Joined 1 June 2017
1 FEB 2018 AT 10:48

चाँद भी गिर गया कुछ पल के लिये सूरज की नजरों से



तुम जो गिरी हो आम बात है।

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23 JUN 2017 AT 16:23

ख़त्म कर दीये अब जज्बातो के वो खेल.

अब हर रोज़ हार हार के हारा नही जाता।

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20 JUN 2017 AT 23:27

अरसा हुआ दील टूटे हुऐ।
हम भी कभी बेचैन शायर हुआ करते थे।

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14 JUN 2017 AT 20:54

खुश नही हूँ मैं,
सिर्फ अल्फाज़ खूबसूरत है।

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13 JUN 2017 AT 13:57

अनकहे शब्दो के बोझ से थक जाता हूँ कभी कभी।

पता नही खामोश रहना मज़बूरी है या समझदारी।

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3 JUN 2017 AT 15:10

उनकी भी कुछ मजबूरियां रही होगी..
युही नही चाँद ओर सूरज में दूरिया रही होगी...

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3 JUN 2017 AT 13:23

जुबाँ न भी बोले तो,मुश्किल नही..

फ़िक्र तब होती है जब,खामोशी भी बोलना छोड़ दे।।

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3 JUN 2017 AT 9:34

मेरा हर अल्फ़ाज़ दिल से निकला है...
इन्हें जमाने मे बदनाम ना करना...
हो अगर इकरार तो कह देना मुझे...
बस मुझसे इश्क़ सरे आम ना करना....

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3 JUN 2017 AT 9:21

मैं तुझे मुफ्त मै मिल गया हूं।

कद्र ना करना हक़ बनता है तेरा।

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3 JUN 2017 AT 8:33

काश इश्क़ के साथ थोड़ा नसीब होता...
तो आज वो शख्स मेरा हबीब होता...

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