वो ऐक भूल थी मेरी जिसे मैं भुला चुका हूँकब का उसे उसकी यादों में दफना चुका हूँउसने कभी जिस मेरे बदन को हाथ न लगायाउस बदन को भी मैं अब हिज़्र मे जला चुका हूँ -
वो ऐक भूल थी मेरी जिसे मैं भुला चुका हूँकब का उसे उसकी यादों में दफना चुका हूँउसने कभी जिस मेरे बदन को हाथ न लगायाउस बदन को भी मैं अब हिज़्र मे जला चुका हूँ
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मोहब्बत हुई जो आबाद ज़िन्दगी भी मौत बन गईशाम कुछ पल की ओर अगले ही पल रात बन गई -
मोहब्बत हुई जो आबाद ज़िन्दगी भी मौत बन गईशाम कुछ पल की ओर अगले ही पल रात बन गई
बेरंग ज़िन्दगी उदासी भरे दिन इसका एहसास नही है तुमको इन सबसे कंही बेहतर हो तुम क्या इसका एहसास नही है तुमको -
बेरंग ज़िन्दगी उदासी भरे दिन इसका एहसास नही है तुमको इन सबसे कंही बेहतर हो तुम क्या इसका एहसास नही है तुमको
जब इक उजाला हो गया जाने वो गम कँहा खो गया हुई सर्द हवाएँ तन्हा देती दुहाई मेरा सनम कँहा खो गया -
जब इक उजाला हो गया जाने वो गम कँहा खो गया हुई सर्द हवाएँ तन्हा देती दुहाई मेरा सनम कँहा खो गया
दिल रोता रहेगा सारी रात और चाँद मुस्कुराएगाजब तेरी यादों के आने का रास्ता बन जाएगा -
दिल रोता रहेगा सारी रात और चाँद मुस्कुराएगाजब तेरी यादों के आने का रास्ता बन जाएगा
दिल का रिश्ता धीरे धीरे जुड़ता है मिलकर उस्से दिल मेरा खिलता हैगम पराए हो जाने देता हूँ मैं अपने वो जब भी गले लग कर मिलता है -
दिल का रिश्ता धीरे धीरे जुड़ता है मिलकर उस्से दिल मेरा खिलता हैगम पराए हो जाने देता हूँ मैं अपने वो जब भी गले लग कर मिलता है
मेरे भी दिल मे प्यार का एहसास रहना चाहिए मेरी भी इन निगाहों को कभी तो रोना चाहिए -
मेरे भी दिल मे प्यार का एहसास रहना चाहिए मेरी भी इन निगाहों को कभी तो रोना चाहिए
मैं क्या कुछ न कर जाऊँसो बार टूट कर फिर जुड़ जाऊँ मैं क्या कुछ न कर जाऊँतूफानों में घर से निकल कर मंज़िल तक पोहंच जाऊँइन ऊंची ऊँची लहरों से लड़ कर किनारे तक मैं पोहंच जाऊँ -
मैं क्या कुछ न कर जाऊँसो बार टूट कर फिर जुड़ जाऊँ मैं क्या कुछ न कर जाऊँतूफानों में घर से निकल कर मंज़िल तक पोहंच जाऊँइन ऊंची ऊँची लहरों से लड़ कर किनारे तक मैं पोहंच जाऊँ
My new Solo bookJazbaat e Kitaab (जज़्बात ऐ किताब)Link in my bio 👇👇👇go for check now👇👇👇👇 -
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विरासत जो ज़िन्दगी की वो न गम अपने हुएज़िमेदारियों ने तोड़े वो न कभी सच सपने हुए बिताए मैंने खुद की कैद में न जाने कितने बरस न वो दीन अपने हुए न वो कभी साल अपने हुए -
विरासत जो ज़िन्दगी की वो न गम अपने हुएज़िमेदारियों ने तोड़े वो न कभी सच सपने हुए बिताए मैंने खुद की कैद में न जाने कितने बरस न वो दीन अपने हुए न वो कभी साल अपने हुए