18 JUL 2018 AT 21:37

पिस देता था पत्थरों को
अब खुद पिस रहा तू
समय का चक्र
चलता निरंतर बिना थके
खोता बाजुओं का बल
था कभी अभिमान
हर वक्त नहीं रहता सवेरा
है यही अटल सत्य
कर विचार सीख
सींच बगिया जिसमे खिले फूल
आने वाला काल करे याद
क्योंकि ये इमारत ढह रही है।

- Sudhir "धीर"