5 OCT 2017 AT 18:27

तितलियों को ये रंग फूलों की सोहबत से ही हासिल हुए हैं. अच्छी संगत से ही अच्छे गुण मिलते हैं. यह रंग मोहब्बत का रंग भी है जिसे तितलियां दूसरों तक पहुँचाती हैं.एक और खासियत है तितलियों में...ये हमेशा फूलों पर ही बैठती हैं. मक्खियों की तरह नहीं कि जब भी बैठेंगी गन्दी चीजों पर ही. तितली को रंग-बिरंगे फूल ही नज़र आते हैं और फूल.? क्यों बिठाते हैं उन्हें...दरअसल तितलियां रंगोपासक होती हैं तो फूल सौंदर्योपासक. फूलों पर उनके बैठने से ही फूलों की शोभा बढती है. यही तो है शिद्दत से मोहब्बत जो इबादत का रूप ले लेती है. क्योंकि इस चाहत में उपासना है, चाहे रंग की ख्वाहिश हो या सौन्दर्य की. प्रतिदान नहीं, ज़रूरत;एक-दूसरे के बगैर अस्तित्वविहीन... प्रतिस्पर्धा नहीं, परस्पर. आओ न.....हम तितली जैसी बन जायें-सतरंगी, कोमल, सौन्दर्योपासक और प्रेममयी. आओ ना..हम तितली और फूल जैसी मोहब्बत करें...स्वार्थहीन, एक दूसरे के पूरक.

- सुधांशुशेखर