22 MAY 2018 AT 16:00

वो इरादे अपने बदलते शहरों की हवा से मोड़ते होंगे
जाने वो कैसे लोग होंगे जो मोहब्बत में दिल तोड़ते होंगे।
आज खड़ा हूँ यहां, सवाल मेरे कल से वो पूछते होंगे,
हम पराये होगये अब, न जाने वो हमें भी कभी अपना समझते होंगे।
हांथो की लकीरो में अब छीलन के निशान से दिखते होंगे,
उनमे वो कोशिश है जो तुझे भुलाने को करते होंगे।
कुदरत का खेल है अनोखा, वो बड़े शौक से खेलते होंगे
ना जाने वो कैसे लोग होंगे जो मोहब्बत में दिल तोड़ते होंगे।

- Sudo writes