कभी जाति कभी धर्म कभी आरक्षण का बोलबाला है
राजनीति के जानकारों का खेल बड़ा ही निराला है
किसको सत्ता में आना है किसको सत्ता से गिराना है
राजनीति है साहब बड़े- बड़े को कहाँ समझ आना है
कौन सा मुद्दा बड़ा बन जाये ये तो वक़्त की बातें हैं
वक़्त- वक़्त की बात है साहब वक़्त सभी का आना है
बड़ी- बड़ी बातें ही सत्ता की हक़दार है शायद
जुमला ही तो राजनीति का परिधान पुराना है
ना किसी का अपना होता यहाँ ना किसी का बेगाना
रिश्ते क्या हैं इसके आगे सबको धूल चटाना है
राजनीति का मकसद एक ही यही बस समझाना है
सत्ता जब तक मिले नहीं हर हथकंडे अपनाना है....!!!

Date:- 8 दिसंबर 2017©©

- सुब्रत आनंद "सिफ़र"