Subham Agarwal   (©SUBHAM AGARWAL)
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Joined 18 January 2017


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Joined 18 January 2017
22 FEB AT 23:55

दिन रात सँवारा करती है गेसू अपने दीवानों के सामने,
उसे खबर नहीं कितने बिगड़ते है हालात ऐसे तूफ़ानों के सामने।

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12 FEB AT 23:44

मुकम्मल करते है तेरे तसव्वुरात मुझको,
तुझको ना सोचूं ज़रा देर तो अधूरा हो जाऊं।

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21 JAN AT 23:25

रिश्ते बने ऐसे की जख़्मों की कमी ना हुई,
कुछ दोस्तों में बिल्कुल मेरे दुश्मनों का स्वभाव लगता है।

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10 NOV 2023 AT 0:18

आते जाते है लोग कितने मेरे दिमाग से बस तू नहीं जाती,
थक गया हूँ कर कर के साफ बदन अपना मेरे बदन से तेरी बू नहीं जाती।

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2 OCT 2023 AT 22:55

इश्क़ में लड़के समेट लेंगे तुमसे इश्क़ तुम्हारा,
और बदले में सौंप देंगे तुम्हें बचपन अपना।

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17 SEP 2023 AT 23:36

निगाहें मोटी, आरिज़ गुलाबी, अदाएं तीखी,
अब और क्या बताए लुटेरे कैसे होते है।

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7 SEP 2023 AT 0:57

मुझको भी तो बाबा मेरे हिस्से की ठाकरी दे दे,
वृंदावन निकले प्राण मेरा मुझको अपने चरणों की चाकरी दे दे।

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5 AUG 2023 AT 23:37

जैसे तैसे गिरते पड़ते संभाला था खुदको फिसलने से ढलवानों पर,
बातें फिर से छेड़ी है उसने कल शाम वाली रुमानों पर।

एक तो वो दूर मुझसे दूसरा उसका दुपट्टा भारी,
उफ़ मैं सोचूं भी तो चूम नहीं सकता उसके शानों पर।

अल्हड़ मेरी सीख रही है अभी अदाएं इश्क़ में रूठ जाने की
वो सुनती है बात मेरी रख कर हाथ अपने कानों पर।

चाहत जो होती है कभी चूमने की उसके कानों को,
मैं ले जाता हूं अक्सर उसे झुमके वाली दुकानों पर।

बस उसके नाम से महकता रहता है कमरा मेरा,
मैंने नाम लिख रखा है उसका खाली गुल दानों पर।

आंखें बातें अदाएं खूब अता है उसको कत्ल के लिए,
उसे क्या जरूरत वो क्यों रखे तीर कमानों पर।

ज़ख्म मिले है कईं कल शब वस्ल में,
वो ख़ार छुपा कर रखती है जुबानों पर।

तील तील कर मारेगी तिल उसके कमर की,
मगर बचना तुम जहरीली है तिल दोनों उसके शानाें पर।

मैं चाहता तो रोक लेता खुद को खुद की तबाही से,
मगर फिसल गया मैं उसके बदन पर गढ़ी ढलानों पर।

खुमार आंखों की उसकी अब मेरी आंखों में दिखती है,
मैं चूम आता हूं आंखें उसकी कोई ना कोई बहानों पर।

जुल्फें छुपा देती है जब कभी झुमके उसके,
मैं उंगलियों से अपनी करता हूं पीछे बाल उसके कानों पर।

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9 JUL 2023 AT 22:31

मैं खो जाता हूं अक्सर देख कर तुम्हारी आँखें,
हाए कितनी ख़ूबसूरत है तुम्हारी आँखें।

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5 JUL 2023 AT 23:00

नशा मय का तेरे ख़यालों में सिमट आया है,
तुझे सोचता हूं तो लड़खड़ा जाता हूं।

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