गहरा था मोहब्बत का समंदर क्या करतीअकेले जाती तो डूबना जायज़ थासो दरिया पर ही हमसफर को तलाशती रहीऔर धीरे धीरे साहिल में ही धस सी गई - क़तरा
गहरा था मोहब्बत का समंदर क्या करतीअकेले जाती तो डूबना जायज़ थासो दरिया पर ही हमसफर को तलाशती रहीऔर धीरे धीरे साहिल में ही धस सी गई
- क़तरा