इश्क़ में दिल का कतरा कतरा बिखर जाएगा
हार कर इश्क़ में वो फिर किधर जाएगा-
इश्क़ हावी हो तो परिवार छुट जाता है
रिश्तों को बचाने में दिल टूट जाता हैं
इस जहाँ में कुछ भी मुकम्मल नही होता
गर दोनों मिल जाए तो रब रूठ जाता हैं
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उसके घर से गुजरूँ तो साँसे थम जाती हैं
अगर वो नज़र भर देख ले तो मैं मर जाऊँ-
इश्क़ में तबाही का कोई हिसाब नहीं है,
दर्द-ए-दिल जो मिटा सके कोई किताब नहीं है।
हर साँस में जलती है एक उम्मीद की लौ,
फिर भी इस आग का कोई सवाब नहीं है।
हमने चाँद से माँगी थी रातों की राहत,
चाँद भी सुन ले मगर उसका जवाब नहीं है।
दिल की वीरानी को कोई गुलशन कर दे,
ऐसी दुआ में भी कोई असर-ए-ख़्वाब नहीं है।
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आतंकी हमला जब जब देखो होता है
अंदर से दिल तब तब बहुत ही रोता है
और जो करते हैं भाई चारे की बात सुनो
आतंक का बस एक ही मजहब होता है-
एक बिंदी तुम लगा लेना,
चाँद सा मुखड़ा सजा लेना।
नज़रें ना हटेंगी दीवानों की,
संवर के ज़रा मुस्कुरा देना।-