*आप देख नहीं पा रहे हो*
आप देख नहीं पा रहे हो ,
के देश को आप कहाँ ले जा रहे हो !
घरों पर बेठने में आपको मौत आ रही हैं ,
और यहाँ आए दिन सेकडो जाने जा रही हैं !
अगर अभी भी नहीं संभलें तो ठीक नहीं होगा ,
घर-घर कोरोंना का एक मरीज़ होगा!
फिर चाह के भी आप कुछ नहीं कर पाएँगे,
बस दिन रात प्रभु के गुण गाएँगे !
खेल लेना बाद में , घुम लेना बाद में,
फ़िलहाल तो बचा लो देश को इस जंजाल से!
सब कुछ जानते हुए भी क्यू बहरे बनते जा रहे हो,
मैं बता रहा हुँ ,
आप देख नहीं पा रहे हो ..
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