29 MAY 2017 AT 1:07

रो रहा हूँ तेरी याद में,
खून के आँसू आज।
पानी समझकर बहने न देना,
बाढ़ आ गयी तो गज़ब हो जाएगा।

चल रहा हूँ बादलों में,
पंछी की तरह आज।
बाज़ समझकर उड़ने न देना,
शिकार हो गया तो गज़ब हो जाएगा।

मिल रहा हूँ धूल में,
शूल की तरह आज।
पत्थर समझकर टूटने न देना,
चूर हो गया तो गज़ब हो जाएगा।

खिल रहा हूँ कलियों में,
फ़ूल की तरह आज।
पौधा समझकर कुचलने न देना,
मुरझा गया तो गज़ब हो जाएगा।

- सौरभ