25 JAN 2017 AT 10:09

मै ज़िंदगी के कागज़ पर जो दर्द के कलम से कुछ लिखने की ख्वाहिश करता हूँ,
कागज़ भी भर जाता और स्याही भी कम न होती है ।


- सौRभ

- सौरभ