हर दिल में जगह बनाते,सारा जहाँ खो लिया हूँ;अपनी मिट्टी से दूरी काफ़ी थी शायद,आज अपना ही एक हिन्दुस्ताँ हो लिया हूँ। - सौरभ
हर दिल में जगह बनाते,सारा जहाँ खो लिया हूँ;अपनी मिट्टी से दूरी काफ़ी थी शायद,आज अपना ही एक हिन्दुस्ताँ हो लिया हूँ।
- सौरभ