चश्मों में बस गयी हो,जैसे दीद की तरह;चाहा था तुम्हे, जैसे ईदी,आज मना रहा हूँ, ईद की तरह। - सौरभ
चश्मों में बस गयी हो,जैसे दीद की तरह;चाहा था तुम्हे, जैसे ईदी,आज मना रहा हूँ, ईद की तरह।
- सौरभ