दौर कठिनाइयों का है, हैं चुनौतियां भी कम नहीं,
होड़ लगी है आफतों की, क्या ये बड़ा गम नहीं,
मुश्किल में है जहां सारा, गगन बरसा रहा चिंगारी,
हाय ये कैसी महामारी! हाय ये कैसी महामारी!
आयी है विपदा इस छड़, टूट गया हर प्राणी है,
चाहत आरज़ू मन मे समेटे, संकट याद ज़ुबानी है,
विकट ये महामारी है! विकट ये महामारी है!
बनी कहीं रक्षक सफ़ेद वर्दी, कहीं आँखों मे पानी है,
निराशा है चारों ओर पूछता हर एक प्राणी है,
क्या ज़िन्दगी यहीं थम जानी है??
ये सिर्फ महामारी है! ये सिर्फ महामारी है!
हारेगी ये महामारी भी, चमकेगा फिर से भारत भी,
बना रहेगा देश का मान,फिर लौटेगी जीवन मे मुस्कान,फिर मिलगेगी खुशाली,
फिर मिलेगा सबको काम,
अभी जो पल मिल गया है, चलो कर ले इसमे आराम,
खेल-कूद-मस्ती कर ले नन्हे मुंहे लालों से,
थोड़ी सी बातें कर ले बूढ़े-सफ़ेद बालों से,
थोड़ा वक्त जो मिले, चलो ले-लें सबका हाल,
समय जो मिला है अब, चलो बनाए इसे कमाल!
हराएंगे महामारी को,
बीतेगा ये वक़्त भी यार,
हरा के दिखाएंगे, हमारा भारत देश महान।
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