मात पिता की सीख!
नहीं मोल उस जीत का, जो हो छल के साथ|
कहते हैं मेरे पिता, इससे अच्छी मात||
जाओ तुम रण में उतर, पूरा करो प्रयास|
त्यागो चाहे प्राण तुम, रखो जीत की आस||
ऐसी बात न कीजिए, जो मन को चुभ जाय|
बोलें मीठा, माँ कहे, मन मिसरी घुल जाय||
पीठ दिखा मत भागना, सीने पर लो वार|
तब भी मेरी ही सुता, अगर गई भी हार||
ग़लत कोई जो कर रहा, तुम न बदलो राह|
सत्यवान को, माँ कहे, मिल जाते हैं शाह||
Sonam B Saluja
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