हम तो चले थे दोस्ती की राह पर,
बातों बातों में दोस्ताना बढ़ाने ।
खैरियत के दो शब्द क्या कह दिया हमने,
हम तो उनकी नजरों के कटघरे में खड़े हो गए ।-
यह चांद ज्यादा खुबसूरत हैं या कुछ कसूर हैं मेरी नज़रों का,
जिन्हे हर चीज़ और हर इंसान अच्छा लगता है ।-
आंखें नम हो जाती हैं ।
मगर इन आंखों को क्या पता,
यह नमी तेरे ज़िक्र की है या
तुम्हारे दिए हुए चोट के चुभन की है ।-
कश्ती अब डूबने लगी हैं।
आग के दरिया पार करने चली थी में,
लेकिन अब ये प्यार की आग
जान लेने लगी हैं ।-
वो कुछ बीते लम्हे, यादों में हमेशा रखना ।
उम्मीदे बांधे दिल से, खुशियों से मुंह ना मोड़ना।
मुस्कुराना मेरे बैगर, दिल में कोई मलाल ना रखना।
जिंदगी की किसी मोड़ पे टकरा जाए, तो छूटा हाथ ज़रूर थामना ।— % &-
शाम में थोड़ी उदासी से झलक भर आयी है,
मेरी आदतों से थोड़ी बेख्याली नजर आ रही है ।
बादलों ने सफेद चादर आसमान में ओढ़ ली है,
हवाओं के झोंके भी अपनी ही खुश मिजाज ही से बह रहे हैं ।
चिड़ियों की आवाज भी ढलते सूरज के साथ कम हो गई है,
चांद के निकलत आते ही रात की आहट चली आयी है ।— % &-
किस्से थे, कहानियां थी ।
चेहरों के शहर में, कुछ शक्ले जानी पहचानी थी ।
ख्वाब थे, उम्मीदे थी ।
तसव्वुर सी मेरी जिंदगी में, कुछ मुलाकातें अधूरी थी ।
दिन गुजरे, रातें गुजरी ।
मगर मेरी लिखी वो कहानी, अंत हीन रह गई ।— % &-
कभी कभी बातें, सिर्फ बातों से ज्यादा मायने रखती हैं ।
बातों बातों में किस्सो को कहानियों में तब्दील होने में देर नहीं लगती हैं ।— % &-
वो इब्तिदा इश्क ताबिर-ए-जिंदगी था हमारी,
मगर सुकून सी जिंदगी में बे-हिस मुदर्रिस बन गया ।— % &-
किसी की यादों में भीगी भीगी सी ।
आसमान के रंगों में अपना रंग ढूंढते हुए,
क्यों है यह अनगिनत सवालों में खोई खोई सी ।-