अमीर इमारतें सजाता है दिखाने के लिए ताउम्र तरसता है अपनों का साथ पाने के लिएग़रीब हर दिन कमाता है दो वक़्त के खाने के लिए उसकी ख़ुशियाँ मोहताज नहीं किसी बहाने के लिए - sona
अमीर इमारतें सजाता है दिखाने के लिए ताउम्र तरसता है अपनों का साथ पाने के लिएग़रीब हर दिन कमाता है दो वक़्त के खाने के लिए उसकी ख़ुशियाँ मोहताज नहीं किसी बहाने के लिए
- sona