26 MAY 2019 AT 17:13

यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवाणि निषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवाणि नष्टमेव हि॥

जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का आश्रय लेते हैं, उनका निश्चित भी नष्ट हो जाता है और अनिश्चित तो लगभग नष्ट के समान है ही।

- Somadatta Sharma