Snehil Priya   (Snehil Priya)
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Joined 18 April 2018


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Joined 18 April 2018
14 MAR 2023 AT 13:12

अगर हम फिर से मिले कभी
तो अंज़ाम कैसा होगा
धड़केगा दिल जोरो से
या शुष्क खामोश पड़ा होगा
होगी थोड़ी बारिश जो
क्या दिल उसमें भिंगेगा
पड़ा रहेगा पत्थरों सा या फिर
बस बूंदों को छूएगा
सुर्ख़ बसंती मौसम में वो
क्या बगिया सा महकेगा
पहले जैसे देख के तुझको
क्या झूले सा डोलेगा
या पतझड़ के टूटे पत्तों
सा वो टूट के बिखरेगा ।

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12 MAR 2023 AT 0:06

इतना आसान कहाँ
सच्चे और झूठे इश्क़ को पहचानना
जब दोनों ने मुखोटा एक सा पहना हो......

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11 MAR 2023 AT 23:58

दिल को मनाना आसान नहीं
इश्क़ का रास्ता तो
गोताखोरों को भी ना पता है.....

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22 FEB 2023 AT 18:25

ये सुरूर-ए-इश्क़ मरता कहां है
चांद कितना भी छूप जाए दिन के उजाले में
मगर ये कमबख्त ढलता कहां है ।

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5 OCT 2022 AT 12:43

मारना है तो, पहले मारो
अपने अंदर के रावण को
मोह ,द्वेष,तृष्णा को मारो
मारो अंदर के लालच को

पुतला तो हर साल जला है
नहीं जगी सच्चाई है
ओ रावण को जलाने वालों
पहले ,
मारो उसकी परछाई को

सीता हरण तब भी हुआ था
आज भी सीता लूटती है
कहाँ मरा है रावण बोलो
जब हर साल ये पुतला जलती है

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29 AUG 2022 AT 23:24

आज आसमान में एक ही तारा bright था
सारे तारों की जगह बस उसमें ही जैसे light था
बादलों के इस घने कोहरे को
चीरने वाला जैसे sun light था
दूर था वो पहुंच से मेरे
फिर भी जैसे adjoint था
इतना ख़ुबसूरत, इतना हसीन
जैसे कि कोई adventures site था
नज़रों में बस जाने वाला
आज का best highlight था ।

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20 AUG 2022 AT 0:36

केशव भी तू , माधव भी तू,
तू ही तो नंद का गोपाला।
तू राधा का कृष्णा भी है,
तू श्याम सलोना मतवाला।।
गोपाल रूप गौ पालक का,
माधव रूपी तू मधुर प्रिये।
श्याम रूप आभामय है,
कृष्ण रूप में प्रखर प्रिये।।
शैशव होकर भी तू मोहन ,
दुष्टों को विष्णु धाम दिया।
स्पर्श मात्र से तूने तो ,
कितनों का जीवन तार दिया।।
प्रकृति प्रेम सीखने को,
तू गौ से पर्वत छान दिया।
यमुना तीरे लीलाएं की ,
गोवर्धन से सबको छांव दिया।।
धर्म सही सिखलाने को,
सारा रण रक्त से लाल किया।
गीता की गाथा हमको दी ,
अधर्मियों का संहार किया ।। snehil

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13 JAN 2022 AT 18:25

किसी ने पूछा कैसे हो?????
हमने उत्तर ये सम्मान से दिया
कुछ ख़ास नहीं .......
सर में दर्द और
शरीर में थोड़ी अकड़न सी है ।
आँखों में हल्की पानी,
सांसों में भारीपन है ।
वही जिसे सर्दी का नाम दिया है सबने
और अभी कोरोना का लक्षण भी कहते है...
मगर डरो नहीं......, आगे कि बात भी सुन लो.....
है कोरोना नहीं ये,हमने जांच कराया है
ये तो हल्का सा शरीर ने, तापमान बढ़ाया है।
बोर हुआ होगा वो शायद
रोज़ वही तापक्रम से
इसलिएएए.. बदल लिया उसने
ताप को अपने मन से ।।।।।।

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26 DEC 2021 AT 22:52

बवंडर मन में उठने दो
स्याह कलम से कोरा कागज़ गढ़ने दो
मुफ़लिसी अल्फ़ाज़ों के लाख़ है मगर
दिल में आई बात को होंठों पे सजने दो

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24 SEP 2021 AT 18:58

हर किसी को मिले पूरा जहां
ये मुमकिन कहाँ
आसमा भी तो ज़मी को तरसता है
खाहिशें मुकम्मल हर किसी की गर हो
तो साथ रह कर भी समंदर का पानी रेत से जुदा न होता......

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