मैं हर बार टूटता हूँ, हर बार जुड़ता हूँ, बिखर जाता हूँ पल में, मै फिर समेटता हूँ, हर दांव देखता हूँ, हर घाव झेलता हूँ, इतिहास की किताब में फिर पन्ना जोड़ता हूँ, मै आईने में खुद को कशी देखता हूँ |
कभी कभी मन के भावों को व्यक्त करना कितना मुश्किल होता.... कहना बहुत कुछ चाहते है पर शब्द नहीं मिलते है.... ऐसा लगता है मानो लफ्ज कहीं सीने में दबे हुए है.... और दोनों बाहें खोलकर फड़फड़ा रहे हो बाहर आने को.... पर... फिर रोक लेती है खुदको सबके सामने आ जाने के डर से |
थोड़ी प्रेम भरी धूप जरुरी है, जमे न जाये होंठ मेरे, तेरे सांसों की गर्मी जरुरी है | रिश्तों पर न बर्फ़ जमें, थोड़ी प्रेम भरी धूप जरुरी है | पथराई आँखें है बुझी हुई, तेरे नैनों के दीप जरुरी है, रिश्तों पर न बर्फ़ जमें, थोड़ी प्रेम भरी धूप जरुरी है |
हम कुछ प्लान करते है और जिंदगी कुछ और.... जब ये दोनों मिलते है तो इंसान सिकंदर बनता है... और जब ये दोनों विपरीत हो तो बस खोटा सिक्का बन कर रह जाता है जिसके चलने की कोई उम्मीद नहीं होती... बस कभी-कभार तुक्का लग जाता है |