Sneh Ankur Khare   (अंकुर खरे)
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Joined 9 May 2021


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Joined 9 May 2021
3 JUN 2022 AT 2:28

नादानी थी की पहली मुलाक़ात में मोहब्बत हुई,
कुसूर निगाहों का था, कीमत अश्को ने चुकाई।

रिसते हुए जख्मों पर अब मरहम कौन लगाए,
कुसूर मोहब्बत का था, कुसूरवार हम कहलाए।

धड़कनों जैसे बसा है वो इस तन्हा दिल में,
अब उस जालिम को ये दिल कैसे भुलाए।

दिन का सुकून खोया, रातों की नींद हुई ओझल,
उल्फत के राग सुना अब इन आंखों को कौन सुलाए।

अंधेरे में छोड़ गया जो हमे सिसकने को,
खुदा! हमे ख्वाबों में भी उसके ख्वाब न दिखलाए।

क्यों नहीं गुजरते मेरे लम्हे आज भी उसके बिन,
बेवफा कहूं या मजबूरी ! कोई इस दिल को बतलाए।

नही रही कोई उम्मीद अब लौट आने की उनके अंकुर!
अब झूठी तसल्ली दे कर कोई हमे न बहलाए।

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2 MAY 2022 AT 21:15

इस रूह को जबसे तेरी दीद हुई,
हमारी तो तब से ही मुबारक ईद हुई।

ईद मुबारक 🤲

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1 MAY 2022 AT 2:12

तेरे ख़्वाब ख्यालों पर न ज़ोर मेरा
पिरोए रखे वो हिदायत नही है।

अकेले चले थे अकेले रहेंगे,
मुकद्दर में अपने कोई लिखावट नही है।

गम ए ज़िंदगी से शिकायत कैसी?
मुहब्बत है कोई अदावत नही है।

कभी चाहते बेकरारी मुहब्बत,
कभी वो निगाहे इनायत नही है।

सहते है दर्द हम भी न जाने कितने!
फिर भी लबों को खुलने की इजाज़त नहीं है।

मैं अंकुर हूं! सोचूं यूं तन्हाइयो में,
वफ़ा संग उल्फत रवायत नही है।

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18 APR 2022 AT 22:51

मैं कहता था उससे, दुनिया की बातों में न आना,
पर उसने एक बात भी न मानी मेरी।

अभी भी ढूंढोगे तो मिल जाऊंगा मैं तुम्हे,
मैखाने के आस पास फिरना है निसानी मेरी।

की मैं वो कुछ और था, अब कुछ और हूं,
ये हसती हुई तस्वीर तो है पुरानी मेरी।

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10 MAR 2022 AT 22:33

मैं यहां तुम्हारा नाम लिखूं,
और तुम देख कर मुश्कुराओ!
मजा तो तब है जब मैं कुछ भी न लिखूं,
और तुम देख कर समझ जाओ। HBD 🎂

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10 MAR 2022 AT 22:27

आज शब्द नही मिले, जिनकी कविता बनाऊं मैं,
लिख कर बेहिसाब मन्नते,तेरे केक पर सजाऊं मैं।
जो सजदे में सर झुके, तो मांगू एक ही दुआ,
भर जाए तेरा दामन, और तू खुश रहे सदा।

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8 MAR 2022 AT 1:45


परवाह करने वाली हमेशा,
बेपरवाह कहलाती है,
ये औरत भी बड़ी अजीब है!
दर्द को सीने में लिए घूमती है,
और हर लब पर हंसी सजाती है।

Happy Women's Day 👸

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16 JAN 2022 AT 19:00

मत लगाओ बुरे दिनों का इल्ज़ाम खुदा पर!
सबने अपने अपने कर्मो का ही अंजाम पाया है।

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6 JAN 2022 AT 19:24

रूठा रहा मै खुद से, हर अगले कदम पर,
सोचा जो खुश हुआ तो कदम लौट कर फिर तेरे पास आने लगेंगे।

सोया नही हूं मैं कई रातों से,
सोचा जो नींद लगी तो फिर तेरे ख्वाब आने लगेंगे।

हा मान लिया की हार गया मैं तुमसे अबकी बार,
सोचा जो जीत जाते तो तेरे दिए ज़ख्म याद आने लगेंगे।

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2 JAN 2022 AT 14:01


मैं हूं बेजुबान, मुझमें बयां भी तू,
तू है मेरा मर्ज, और मेरी शिफा भी तू।

मुझसे दूर है तू, मुझे अता भी तू,
मुझे जो न कुछ याद आए, मेरा पता भी तू।

मुझे सजा मिलेगी तेरी नजरो में जो,
सुकून इस बात का की, मेरी खता भी तू।

मेरे बारे में तुझे कोई क्या बताए मालूम नही मुझे,
उससे कहना! जहां मेरा सर झुका वो रहनुमा भी तू।

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